परिभाषाएँ धीरे-धीरे बदल रही हैं... संकुचित सोच अब विस्तृत आसमान ढूँढ रही है... खुद को पीछे रखकर अपनी साथी को आगे ब़ढ़ाने का उत्साह अब केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं। पुरुष भी साथ, सहयोग और समर्पण से महिलाओं के विकास में नई भागीदारी तय कर रहे हैं।
पुरातन समय से भारतीय पुरुष प्रधान समाज में जब कोई पुरुष सफलता की सी़ढि़याँ पार करता है तो कहा जाता है कि 'हर सफल पुरुष के पीछे किसी महिला का हाथ होता है।' यह कहावत बहुत प्रचलित है।
वर्तमान में भी जब कोई पुरुष सफलता के सोपान पार करता है तो उसकी सफलता के लिए उक्त कहावत का उल्लेख अवश्य होता है। इस कहावत के प्रयोग के पीछे जरूर उस महिला के द्वारा (जिसकी वजह से पुरुष सफल हुआ है) किए गए त्याग, बलिदान और साहस को नमन करने की कल्पना रही होगी। भले ही वह महिला फिर उस सफल पुरुष की माता, बहन, बेटी, पत्नी, प्रेमिका या मित्र रही हो। उक्त महिला के त्याग को दर्शाने का इससे अच्छा तरीका और कोई हो भी नहीं सकता।
लेकिन वर्तमान समय में महिलाओं द्वारा नित नई प्राप्त की जाने वाली सफलता को देखते हुए क्या यह नहीं कहा जा सकता कि 'हर सफल महिला के पीछे किसी पुरुष का भी हाथ होता है।'
अक्सर यह कहा जाता है कि जमाना बदल गया है, अब महिलाएँ घर की चहारदीवारी लाँघकर प्रत्येक क्षेत्र में कार्य कर रही हैं, पर इसके पीछे इस महत्वपूर्ण तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित करना आवश्यक है कि इस परिवेश के बदलाव का मुख्य कारण है पुरुषों की सोच में बदलाव, उनकी मानसिकता में बदलाव।
पुरुषों की मानसिकता नहीं बदली होती तो महिलाओं को घर से बाहर निकलकर कार्य करना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन-सा होता। इस बदलते परिवेश में पुरुष ही हैं, जो महिलाओं का उत्साहवर्धन कर उन्हें आगे ब़ढ़ा रहे हैं और उनके पीछे संबल बनकर ख़ड़े हैं।
पत्नी की प्रगति पर प्रसन्न :
आज के पुरुष सही मायने में प्रेम की परिभाषा जानकर उसे व्यवहार में लाते हैं। चाहे यह प्रेम पति के रूप में हो, भाई के रूप में हो या पिता के रूप में हो। आज के युग में वास्तव में घर की महिलाओं की प्रगति पर खुशियाँ मनाकर उनका हौसला ब़ढ़ाया जाता है। आज पुरुष अपने 'अहम' को त्यागकर सही मायने में महिलाओं को इज्जत एवं सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।
वर्तमान में किसी भी कार्य को करने के लिए किसी एक की (महिला या पुरुष) की सीमारेखा तय नहीं है। कहने का तात्पर्य है कि आज पुरुष भी घर के सभी कार्य महिलाओं की बराबरी से करने में नहीं हिचकिचाते एवं इसके पीछे अपना सही तर्क भी देते हैं कि यदि महिलाएँ घर के बाहर कार्य कर आर्थिक सहायता कर सकती हैं तो हम घर में उनकी मदद क्यों नहीं कर सकते?
पुराने समय में रूढि़वादी धारणा थी कि कितनी ही मुसीबतों का सामना क्यों न करना प़ड़े, हम अपनी बहन, बेटी या पत्नी की कमाई को हाथ नहीं लगाएँगे, क्योंकि ऐसा करने से उनके अहम (मेल इगो) को ठेस पहुँचती थी।
कमाई वाले महत्वपूर्ण क्षेत्र में केवल पुरुषों का ही वर्चस्व एवं एकाधिकार था। परंतु इस बदलते परिवेश में पुरुष अपनी पत्नी, बेटी या बहन द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त कर उनके अहम का सम्मान करते हैं और महिलाओं को अपनी विशिष्ट पहचान बनाने एवं शानदार व्यक्तित्व ग़ढ़ने में उनकी मदद करते हैं।
कुछ मुख्य बदलाव जो आज के पुरुष वर्ग में आए हैं :-
संकुचित से विकसित मानसिकता की ओर :
वर्तमान युग स्त्री-पुरुष की कार्यशैली के सीमित दायरे वाली मानसिकता को बाय-बाय कर चुका है और प्रत्येक कार्य दोनों में से कोई भी करे एवं किसी कार्य विशेष को करने पर कोई हीनभावना नहीं होने वाली मानसिकता का विकास हुआ है।
सहयोगात्मक रवैया :
पुरुषों द्वारा महिलाओं के कार्यों में सहयोग करने की प्रवृत्ति में ब़ढ़ोतरी हुई है। आज घर और बाहर की दोहरी जिम्मेदारी का निर्वाह बगैर उनके सहयोग के संभव नहीं है।
महिलाओं की प्रगति संबंधी स्वीकारोक्ति :
आज महिलाओं की प्रगति पर उन्हें पीछे खींचने के बजाय उनका उत्साहवर्धन किया जाता है। पुरुष स्वयं से अधिक काबिल महिला की प्रगति को स्वीकार कर उनकी प्रगति में सहायक होते हैं।
सच्चे प्रेम के प्रति समर्पण :
समर्पण, त्याग, बलिदान आज केवल महिलाओं द्वारा किए जाने वाले कार्य नहीं हैं। इस बदलते युग में पुरुष भी महिलाओं की सफलता हेतु त्याग, बलिदान कर सच्चे प्रेम के प्रति समर्पण का भाव रखते हैं।
परंपरावादी लोगों को यह प्रयोग जरूर खटक सकते हैं लेकिन यह उतना ही सच है कि आज की नारी जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के परचम फहरा रही है और नित नए सोपान पार कर रही है। आज महिलाएँ धरती से लेकर अंतरिक्ष तक अपने जौहर दिखा रही हैं। आज की नारी वित्तीय, आर्थिक, भूगर्भीय, वैज्ञानिक, राजनीतिक एवं बैंकिंग जैसे पुरुष प्रधान क्षेत्रों में भी अपनी श्रेष्ठता का लोहा मनवा रही हैं।
अतः हम आज के इस आधुनिक युग में पुरानी कहावत के साथ-साथ, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं द्वारा हासिल की जाने वाली सफलता को देखकर, नई कहावत कि-'हर सफल महिला के पीछे किसी पुरुष का हाथ भी होता है' कह सकते हैं।
Friday, May 7, 2010
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