Friday, May 7, 2010

शादी को यादगार बनाते सदाबहार गीत


संगीत के बगैर कोई भी समारोह अधूरा है। शुभ प्रसंग और संगीत दोनों का बहुत गहरा नाता है फिर चाहे वह शुभ प्रसंग गोद-भराई का हो या फिर गृह प्रवेश का। विशेषकर शादी जैसे बड़े समारोह का तो मुख्य आकर्षण नाच-गाना ही है। शादी में नाच-गाने के बगैर जहाँ दूल्हे की बारात अधूरी है, वहीं दुल्हन का महिला संगीत भी फीका है। 

अब फिर से शादियों का सीजन आ गया है। वही निमंत्रण, वही शहनाइयों की गूँज इन फिजाओं में प्रेम व शुभ प्रसंगों की मिठास घोलने जा रही है। शादियों में जहाँ हर बार डेकोरेशन व भोजन को लेकर कुछ नया करने का प्रयास किया जाता है वहीं इस समारोह में कुछ चीजें 'ओल्ड इज गोल्ड' ही रहती है जैसे कि शादियों के गीत।

शादियों के सदाबहार गीत : 
कुछ फिल्म गीत ऐसे हैं, जो शादियों के सदाबहार गीत कहलाते हैं। बारात हो या मण्डप, बिदाई हो या गणेश पूजन, कहीं न कहीं ये पुराने और सदाबहार गीत हमारे कानों तक पहुँच ही जाते हैं। आजकल नए गीतों को भी इन प्रसंगों में शामिल किया जा रहा है परंतु फिर भी अब तक ये उस लंबी रेस में शामिल नहीं हो पाए हैं, जिनमें ये सदाबहार गीत शामिल हैं। 



गणेश पूजन व माता पूजन के गीत : 
ईश्वर के आह्वान के बगैर हर शुभ प्रसंग अधूरा है। किसी भी कार्य को निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए भगवान गणेश को आमंत्रित किया जाता है। शादी में गणेश पूजन व माता पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस समारोह में कुछ गीत व भजन ऐसे होते हैं, जो कॉमन होते हैं। इनमें चालो रे विनायक आपा जोशी जी रे चाला, देवा हो देवा, मेरे मन मंदिर में तुम भगवान, म्हारा कीर्तन में रस बरसाओ, गणपति राखों मेरी लाज आदि हैं। 

वहीं माता पूजन के कार्यक्रम के लिए खास तौर पर बजाए जाने वाले गीतों में मैं तो आरती ऊँतारू रे, चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है, हाथ जोड़ के खड़ी हूँ तेरे द्वार मेरी माँ आदि हैं। 

बारात के सदाबहार गीत : 
बारात में दूल्हे के घोड़ी पर सवार होकर दुल्हन के घर आते ही उसके स्वागत में 'बहारों फूल बरसाओ, मेरा मेहबूब आया है' गीत बजाया जाता है। यह गीत अब ऐसा गीत बन चुका है, जो कई शादियों में बारात के स्वागत के वक्त खासतौर पर बजाया जाता है। वहीं बारात में झूमते-गाते बारातियों की फरमाईश में पिया तू अब तो आजा, पल्लो लटके म्हारो पल्लो लटके, राजा की आएगी बारात, आज मेरे यार की शादी है, आए हम बाराती बारात लेके आदि गीत तो बजाए ही जाते हैं। 


मेहँदी के गीत : 
मेहँदी की रस्म तो बहुत पुरानी है परंतु अब यह रस्म व्यापक तौर पर आयोजित की जाती है अत: कल तक ढोलक के साथ गाए जाने वाले बन्ने-बन्नी के गीत की जगह इस प्रसंग में अब फिल्मी गीतों का बोलबाला रहता है। मेहँदी की रस्म के समय गुनगनाए जाने वाले गीतों में महँदी है रचने वाली, बन्नो रानी तुझे सयानी, मेहँदी से लिख दे गोरी आदि हैं। 

महिला संगीत : 
महिला संगीत का कार्यक्रम विवाह समारोह का मुख्य आकर्षण होता है। यही वह समारोह होता है, जब वधू पक्ष व वर पक्ष के लोगों का एक-दूसरे से परिचय होता है। परिवारों के परिचय के समय इन गीतों के द्वारा परिवार के सदस्यों को मंच पर आमंत्रित किया जाता है, ऐ दिल लाया है बहार अपनों का प्यार, सुनो जी दुल्हन अब इनसे मिलो जी, आज हमारे दिल में अजब ये उलझन है, वाह-वाह रामजी, ये तो सच है कि भगवान है ....। इस समारोह में हर कोई संगीत की धुनों पर मस्ती में झूमता-गाता है, फिर चाहे वह समधी-समधन हो या फिर दूल्हा-दुल्हन। 

दुल्हन के लिए : 
इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण दुल्हा-दुल्हन का डांस होता है। इस समारोह के लिए दुल्हन के लिए सदाबहार गीतों में आए हो मेरी जिंदगी में, पिया ऐसा जिया में समाय गयो रे, धीमे-धीमे गाऊँ, अलबेला सजन आयो रे ... आदि हैं। 

दूल्हे के लिए : 
दूल्हे इस समारोह के लिए ऐसे गीतों का चयन करते हैं, जिसमें डांस स्टेप बहुत कम और सरल हों। दूल्हों के लिए खासतौर पर मस्ती भरे अंदाज वाले धमाकेदार गीत बजाए जाते हैं। अक्सर दूल्हे महिला संगीत में 'हिरीये सेहरा बाँध के मैं तो आया रे', 'देखा जो तुझे यार दिल में बजी गिटार' आदि गीतों पर नृत्य करना पसंद करते हैं। 

फेरे और बिदाई के गीत : 
शादी की डोर सात फेरों के मजबूत बंधन से बँधी होती है। शादी के बाद बेटी के लिए बाबुल का घर पराया हो जाता है। दुल्हन की बिदाई व फेरों की रस्म में कुछ पुराने गीत आज भी हमारे कानों में सुनाई पड़ते हैं। इन गीतों में बाबुल की दुआएँ लेती जा, सात फेरों के सातों वचन, दूल्हे का सेहरा सुहाना लगता है, जब तक पूरे ना हो फेरे सात ... आदि हैं।


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